गंगा मैया ऐसी अकेली मातृ नदी हैं जिन्होंने सैकड़ों स्नान, मेले और दो कुंभ महापर्व दिए हैं। गंगा के तमाम तटों पर वर्षभर मेले होते हैं। इक्ष्वाकु वंश के महापुरुषों की चार पीढ़ियां गंगा को ब्रह्मलोक से धरती पर लाने में बीत गई। अंत में भगवान राम के पुरखे सफल हुए और गंगा विश्वकल्याण के लिए आज भी बह रही हैं। उनके किनारे पर हरिद्वार और प्रयागराज में कुंभ मेले लगते हैं। जबकि उज्जैन कुंभ शिप्रा और नासिक कुंभ गोदावरी के तटों पर बृहस्पति के सिंहस्थ होने पर लगते हैं। कपिल मुनि के श्राप से ग्रस्त साठ हजार सगरपुत्रों की राख बहाने के अयोध्या के राजा भगीरथ गंगा को स्वर्गलोक और शिव की जटाओं के रास्ते त्रेतायुग में धरती पर लाए। भगीरथ के पुरखे थे राजा सगर। उनके 60 हजार पुत्रों ने कपिल मुनि से उद्दंडता की और मुनि के शाप से सभी भस्म हो गए। दूसरी पत्नी से राजा सगर के पुत्र ने भाइयों की मुक्ति के लिए स्वर्ग से गंगा को लाने का उपक्रम शुरू किया, पर सफल नहीं हुए। उनके बाद उनके पुत्र अंशुमान और उनके पुत्र महाराजा दिलीप गंगा को धराधाम पर लाने का प्रयत्न करते रहे। परंतु असफल रहे। अंतत: दिलीप के पुत्र राजा भगीरथ तप के बल पर गंगा को शिव की जटाओं से होते हुए, धरती पर लाने में सफल हुए।उन्होंने गंगा को गंगासागर ले जाकर अपने पुरखों की राख विसर्जित की। तभी से गंगा में मृतकों की अस्थियां बहाने का सिलसिला शुरू हुआ । गंगा से जुड़े तमाम नगर तीर्थ बन गए। समुद्रमंथन का अमृत गंगा में छलका तथा हरिद्वार और प्रयाग के कुंभ मेलों में गंगा के प्रति आस्था के कुंभ प्रारंभ हुए। यह शस्य श्यामला भूमि गंगा मैया को धरतीवासियों के कल्याणार्थ लाने के लिए भगवान राम के पुरखों की सदैव ऋणी रहेगी।पूरे देश से राज्य में पर्यटकों को आकर्षित करने के लिए उत्तराखंड पर्यटन विकास परिषद ने अपने प्रचार अभियान तेज कर दिया है। इसके तहत देश के अलग-अलग शहरों में पर्यटन से जुड़ी उत्तराखंड की विशेषताओं को विभिन्न माध्यमों के जरिये प्रचारित किया जा रहा है। इस अभियान में ट्रेन रैपिंग व रेडियो जिंगल जैसे माध्यमों का इस्तेमाल किया गया है। पर्यटन और कुंभ में लोगों को आमंत्रित करने के लिए दिल्ली, मुंबई जैसे शहरों में होर्डिंग भी लगाए गए हैं।ट्रेन रैपिंग के लिए पर्यटन विभाग ने मुंबई, नासिक, भोपाल, झांसी, आगरा, दिल्ली, मेरठ समेत तमाम शहरों को जाने वाली ट्रेन को चुना है। शुरुआत में अभियान के तहत मुंबई के हरिद्वार से मुंबई के लोकमान्य तिलक टर्मिनस के बीच चलने वाली एसी ट्रेन में ट्रेन रैपिंग का इस्तेमाल किया गया है। इस अभियान में चारों धामों यमुनोत्री, गंगोत्री, केदारनाथ, बदरीनाथ तथा हेमकुंड साहिब के साथ ही राज्य की सांस्कृतिक वेषभूषा, लोकगीतों, पहाड़ी व्यंजनों आदि को दर्शाया गया है।परिषद हरिद्वार कुंभ के लिए ट्रेन रैपिंग अभियान में ‘श्रद्धा और भक्ति का अनूठा संसार, आएं 12 वर्षों में एक बार’ टैग लाइन के माध्यम से श्रद्धालुओं व पर्यटकों को आकर्षित कर रही है। राज्य में साहसिक पर्यटन संबंधी गतिविधियों को बढ़ावा देने के लिए यूटीडीबी रेडियो जिंगल के माध्यम से प्रचार कर रही है। फिलहाल रेडियो जिंगल का प्रचार दिल्ली, चंडीगढ़, जयपुर, पुणे तथा देहरादून में किया जा रहा है। पर्यटन मंत्री सतपाल महाराज ने कहा कि अगले महीने में चारधाम यात्रा शुरू होने वाली है। इसकी तैयारियां की जा रही हैं। इस वर्ष भी राज्य के विभिन्न जनपदों में रोमांच से भरे साहसिक गतिविधियों का आयोजन किया जाएगा। पर्यटन सचिव दिलीप जावलकर ने बताया कि उत्तराखंड पर्यटकों का स्वागत करने के लिए तैयार है।