कई अखाड़ों द्वारा शनिवार को कुंभ विसर्जन की घोषणा के बाद अब शंकराचार्य परिषद के अध्यक्ष स्वामी आनंद स्वरूप ने कहा है कि अखाड़ों ने राजनैतिक दबाव में कुंभ विसर्जन की घोषणा की है।
रविवार को वह हरिद्वार के भूपतवाला में मीडिया से मुखातिब हुए। इस दौरान उन्होंने कहा कि देवताओं को प्रतीकात्मक स्नान कराया जा सकता था, लेकिन नेताओं को खुश करने के लिए अखाड़ों ने कुंभ विसर्जन का फैसला लिया है।प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी की अपील के बाद नागा संन्यासियों के सबसे बड़े श्री पंचदशनाम जूना अखाड़ा ने शनिवार देर शाम कुंभ विसर्जन की घोषणा कर दी। जूना के सहयोगी अग्नि, आह्वान और किन्नर अखाड़ा भी इसमें शामिल हैं। पंचायती अखाड़ा श्री निरंजनी और श्री तपोनिधि आनंद अखाड़ा ने भी शनिवार से कुंभ विसर्जन कर दिया है।विधिवत समापन 30 अप्रैल को होगा। 30 अप्रैल कुंभ अवधि तक सात अखाड़ों में आयोजन होते रहेंगे। श्री निरंजनी और आनंद अखाड़ा पहले ही 17 अप्रैल से कुंभ मेला विसर्जन की घोषणा कर चुके हैं।

मेला अवधि एक अप्रैल से 30 अप्रैल तक, अधिसूचना में कोई बदलाव नहीं

मुख्य सचिव ओमप्रकाश की ओर से शनिवार को जारी की गई मानक प्रचालन प्रक्रिया या एसओपी में यह साफ कर दिया गया है कि हरिद्वार महाकुंभ मेला क्षेत्र में कोई बदलाव नहीं किया जा रहा है।

हरिद्वार कुंभ मेला की अधिसूचना प्रदेश सरकार की ओर से फरवरी माह में जारी की गई थी। इसमें चार जिलों के कुछ-कुछ हिस्सों को लेकर मेला क्षेत्र घोषित किया गया था और मेला अवधि एक अप्रैल से 30 अप्रैल तक की घोषित की गई थी।

शनिवार को जारी एसओपी में यह साफ कर दिया गया है कि इस अधिसूचना में कोई बदलाव नहीं किया गया है।

संत छावनियां छोड़कर अपने-अपने प्रदेशों और शहरों में रवाना

श्री निरंजनी और आनंद अखाड़े की छावनियां शनिवार को खाली हो गईं। कल्पवास पर आए संत छावनियां छोड़कर अपने-अपने प्रदेशों और शहरों में रवाना हो गए। जूना और उसके सहयोगी अखाड़ों की छावनियां भी रविवार से खाली होनी शुरू हो गईं हैं।

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