हरिद्वार के कुंभ मेला क्षेत्र में बैरागी कैंप के बाजरीवाला की बस्ती में बुधवार को आग लग गई। सूचना पर कुंभ मेला अग्निशमन विभाग की टीम मौके पर पहुंची। एक वाहन से आग बुझाना संभव नहीं था, लिहाजा मायापुर अग्निशमन केंद्र से दो वाहन मंगवाए गए। कुल आठ वाहनों की मदद से तीन घंटे बाद आग पर काबू पाया जा सका। आग से करीब 50 झोपड़ियां राख हो गईं।
कनखल थाना क्षेत्र के बाजरीवाला में झुग्गी बस्ती है। इसमें करीब 300 से अधिक झोपड़ियां हैं। करीब 15 साल से लोग इनमें रहते हैं। ज्यादातर मजदूरी कर परिवार पालते हैं। बुधवार दोपहर 3:30 बजे अचानक कुछ झोपड़ियों में आग लग गई। हवा चलने से आग की लपटें तेजी से बस्ती में फैल गईं और बड़ी संख्या में झोपड़ियों को गिरफ्त में ले लिया। लोगों की चीख-पुकार और भगदड़ से आसपास के लोग बचाव के दौड़ पड़े।लोगों ने हैंडपंपों से पानी भर-भरकर आग बुझाने का प्रयास किया, लेकिन आग भड़कती ही चली गई और लोगों को सामान बचाने तक का समय नहीं मिला। इसके बाद सूचना पहुंचे दमकलकर्मियों में करीब तीन घंटे जूझने के बाद आग बुझाई। बताया गया कि करीब 50 झोपड़ियां जलकर राख हो गई हैं।वहीं सूचना मिलने पर विधानसभा अध्यक्ष प्रेम चंद अग्रवाल, कुंभ मेला एसएसपी जन्मजेय खंडूरी, एसपी सिटी कमलेश उपाध्याय, अपर मेलाधिकारी हरबीर सिंह, ललित नारायण मिश्रा और अखाड़ा परिषद अध्यक्ष श्रीमहंत नरेंद्र गिरि समेत समेत अधिकारी और संत मौके पर पहुंचे। विधानसभा अध्यक्ष, पुलिस और मेला प्रशासन के अधिकारियों और संतों ने मौके पर पहुंचकर जायजा लिया।एसटी सिटी कमलेश उपाध्याय ने बताया कि आग लगने के कारणों का पता नहीं चल सका है। हालांकि, पुलिस ने जांच शुरू कर दी है। वहीं, आग से आशियानों को बचाने के लिए महिलाएं और बच्चे हैंडपंपों की ओर बाल्टियां लेकर दौड़ लगा रहे थे। महिलाओं और छोटे-छोटे बच्चे बाल्टियों से पानी भर भरकर आग बुझाने की कोशिश में जूझते रहे, लेकिन तेज हवा से आग भड़कती चली गई। हर कोई अपनी झोपड़ी से बाहर निकलकर एक-दूसरे की मदद करता नजर आया। जिसे जहां पर मौका मिला, उसने आग बुझाने का प्रयास किया। कई महिलाएं और युवतियां हैंडपंपों पर डटी रहीं।कई महिलाएं बालू डालकर आग बुझाने की कोशिश में जुटी थीं। वहीं आग लगने की सूचना पर काम पर गए कुछ पुरुष भी लौट आए। उनके लौटने तक उनके आशियाने राख हो चुके थे। झोपड़ियों में कई लोग खाना बनाने के लिए पांच किलो वाले छोटे गैस सिलिंडर इस्तेमाल करते हैं। आशंका जताई जा रही है कि किसी झोपड़ी में सिलिडिंर जलाते वक्त आग भड़की हो और अन्य झोपड़ियों तक फैल गई। हवा तेज होने से झोपड़ियों में आग भड़की और आग पर काबू नहीं पाया जाता तो बैरागी संतों के तंबू भी चपेट में आ सकते थे। संतों के तंबू बस्ती के नजदीक ही हैं। तेबुओं तक आग पहुंचने से काफी नुकसान हो सकता था।