सावन के चौथे और आखिरी सोमवार पर भगवान भोलेनाथ के जलाभिषेक के लिए संगम से लेकर शिवालयों तक श्रद्धालुओं का रेला उमड़ पड़ा। संगम के अलावा गंगा के अन्य घाटों पर बोल बम के जयकारे गूंजते रहे। पुण्य की डुबकी लगाने के साथ ही भक्तों ने शिव मंदिरों में जलाभिषेक कर वर्ष भर के मंगल की कामना की। मनकामेश्वर महादेव में कई न्यायमूर्तियों, अफसरों और संतों ने हाजिरी लगाई।
गंगा की बाढ़ उतरने का असर आखिरी सोमवार के जलाभिषेक पर देखा गया। भोर से ही उत्साह के बीच संगम में डुबकी लगाने के लिए भक्तों की भीड़ पहुंचने लगी। बोल बम और हर हर महादेव के जयकारे के साथ आम भक्तों के अलावा कांवड़िये भी जल भरने के लिए पहुंचने लगे। संगम पर स्नान के साथ ही तीर्थपुरोहितों की चौकियों पर तिलक, त्रिपुंड लगने लगे। कहीं अनुष्ठान तो कहीं कामनाओं के दीये जलते रहे। अन्न, वस्त्र का दान भी होता रहा। त्रिवेणी मार्ग के अलावा काली मार्ग पर कतारबद्ध गरीबों को अन्न, वस्त्र का दान तक भोले भक्त पुण्य कमाते रहे। यहां से जल लेकर कोई मनकामेश्वर तो कोई भरद्वाजेश्वर और दशाश्वमेधेश्वर महादेव के जलाभिषेक के लिए पहुंचता रहा।