रामकथा मर्मज्ञ मोरारी बापू बृहस्पतिवार को माघ मेले की छटा निहारी। उन्होंने संगम पर त्रिवेणी दर्शन कर गंगा, यमुना और विलुप्त सरस्वती की धारा को नमन किया। इसके बाद संगम की रेती पर अपनी हाईटेक कुटिया के बाद हवन कुंड में विश्व कल्याण और लोक मंगल के लिए आहुति दी। शाम को तपस्वीनगर में एक संत के शिविर में पहुंचकर उन्होंने भिक्षा ग्रहण की।मोरारी बापू चार्टर्ड प्लेन से गुजरात के भावनगर से चलकर दिन के 12 बजे बम्हरौली हवाई अड्डे पर पहुंचे। वहां महामंडलेश्वर संतोष दास सतुआ बाबा समेत कई संतों और भक्तों ने उनकी अगवानी की। वहां से कार से मोरारी बापू सीधे संगम पहुंचे, जहां उन्होंने गंगाजल को माथे लगाया और फिर त्रिवेणी दर्शन किया। फिर मोरारी बापू खाक चौक में सतुआ बाबा के शिविर में पहुंचे। वहां फूस से बनी हाईटेक झोपड़ी में वह ठहरे। आधुनिक सुविधाओं से युक्त इस झोपड़ी में कालीन, सोफा के अलावा गीजर, कमोड लगाया गया है।बापू के लिए इस झोपड़ी के बाहर एक यज्ञशाला भी बनाई गई थी, जिस पर बैठकर उन्होंने हवन किया। झोपड़ी में ही उनके लिए झूला लगाया गया। इसी झूले पर बैठकर बापू ने शाम को कुछ लोगों से मुलाकात की। शाम करीब सात बजे कार से उन्होंन पांच सेक्टरों में बसे माघ मेले का निरीक्षण किया। वह आचार्यबाड़ा, दंडीबाड़ा के संतों के शिविरों को भी देखन पहुंचे। इस दौरान खाक चौक के तपस्वीनगर में उनकी कार रुकी। वहां उन्होंने संतोष दास के शिविर में पहुंचकर भिक्षा पाई। शुक्रवार को कुछ लोगों से मुलाकात के बाद दिन के 11 बजे वह विशेष विमान से गोरखपुर के लिए रवाना होंगे। इस दौरान उनके साथ मिराज ग्रुप के चेयरमैन मदनपालीवाल भी थे।

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