माघ मकरगत रवि जब होई/तीरथपतिहिं आव सब कोई/देव दनुज किन्नर नर श्रेनी/सादर मज्जहिं सकल त्रिवेनी…। तुलसी की इन चौपाइयों में संगम पर मकर संक्रांति की महिमा का वर्णन बृहस्पतिवार को कोरोना संक्रमण के बावजूद उन्हीं भावों के साथ चरितार्थ हुआ। माघ मेले के प्रथम स्नान पर्व पर लोग बिना किसी फिक्र के त्रिवेणी की धारा को मथने के लिए सामान्य दिनों की तरह घरों से निकले।

लॉकडाउन के 10 महीने बाद अनलॉक-5 में अब तक के सबसे बड़े सांस्कृतिक उत्सव के रूप में माघ मेले के प्रथम स्नान पर्व पर भक्तिभाव के आगे कोरोना का डर पीछे छूट गया। कोविड-19 से बचाव के लिए जारी गाइड लाइन और कई तरह के नियमों के पालन की अनिवार्यता के बीच हर तरह के प्रतिबंधों की दीवार टूट गई।  न किसी के चेहरे पर मास्क ना ही मेला के प्रवेश मार्गों पर सैनिटाइजेशन की पुख्ता व्यवस्था।

हालांकि अफसर कोविड प्रोटोकॉल का पालन कराने के लिए संगम समेत अन्य घाटों पर डेरा डाले रहे। दिन भर हर सेक्टर में मास्क लगाकर मेला क्षेत्र में प्रवेश करने, हाथों को बार-बार सैनिटाइज करने और दूरियां बनाकर चलने के लिए संदेश प्रसारित किया जाता रहा, लेकिन भीड़ अपनी धुन में ही रमी रही। हाड़ हिला देने वाली ठंड की फिक्र किए बिना लोग घरों से डुबकी लगाने के लिए संगम पर पहुंचते रहे।

दिन के 11 बजे तक संगम अपर मार्ग पैदल श्रद्धालुओं से इस तरह भरा रहा कि लोग एक -दूसरे को धकियाते हुए बढ़ते रहे। कोरोना संक्रमण फैलने तो किसी को चिंता ही नहीं थी। लोग सिर्फ संगम की राह पर आस्था का भाव लेकर चलते गए। सबसे मन में होड़ थी तो सिर्फ संगम में पुण्य की डुबकी लगाने की। संगम की सर्क्युलेटिंग एरिया से लेकर त्रिवेणी की धारा तक ऐसी भीड़ थी कि चाह कर भी सोशल डिस्टेंसिंग का पालन नहीं किया जा सकता था। बच्चे, महिलाएं और युवा त्रिवेणी संगम की धारा को मथने में एक-दूसरे पर गिरते-संभलते देखे गए।

इनसेटकोरोना संक्रमण के दबाव में भीड़ का आंकड़ा बताने से बचते रहे अफसर
प्रयागराज। माघ मेले के प्रथम स्नान पर्व पर कोरोना संक्रमण की वजह से पहली बार अफसर भीड़ का आंकड़ा जारी करने से बचते रहे। सुबह से ही अफसरों से भीड़ के अनुमान की जानकारी ली जाती रही, लेकिन कोरोना प्रोटोकॉल के दबाव में अफसर कुछ भी बोलने से परहेज करते रहे। देर शाम मेला प्रशासन ने सिर्फ 4.50 लाख लोगों के स्नान करने का दावा किया।

 

 

 

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