भगवान शिव प्रकट हो गए हैं तो उनका पूजन-अर्चन, राग-भोग होना ही चाहिए। अपने आराध्य की पूजा के लिए न्यायालय के आदेश की प्रतीक्षा हम नहीं कर सकते हैं। गुरु व शंकराचार्य स्वामी स्वरूपानंद सरस्वती के आदेश पर चार जून को वजूखाने में मिले शिवलिंग की पूजा के लिए हम ज्ञानवापी जाएंगे, जहां तक अनुमति होगी, वहां तक जाकर भगवान शिव को राग-भोग व पूजन अर्पित करेंगे। बृहस्पतिवार को द्वारका व ज्योतिर्मठ के पीठाधीश्वर जगदगुरु शंकराचार्य स्वामी स्वरूपानंद सरस्वती के प्रतिनिधि शिष्य स्वामी अविमुक्तेश्वरानंद ने केदारघाट स्थित विद्यामठ में प्रेसवार्ता में यह घोषणा की। मामला अदालत में होने और वजूखाने की कड़ी सुरक्षा के  बीच पूजन के बारे में पूछा गया तो उन्होंने कहा कि धार्मिक मामलों में शंकराचार्य का आदेश सर्वोपरि है। उनके आदेश का पालन होगा। शनिवार को वह कब और कैसे मस्जिद परिसर में प्रवेश करेंगे, इसकी जानकारी शुक्रवार को दी जाएगी।

भारतीय संविधान के अनुसार भी देवता तीन वर्ष के बालक
शास्त्रों में तो यह बात बताई ही गई है कि देवता को एक दिन भी बिना पूजा के नहीं रहने देना चाहिए। भारत के संविधान में भी यह स्पष्ट रूप से उल्लिखित है कि कोई भी प्राण प्रतिष्ठित देवता तीन वर्ष के बालक के समकक्ष होते हैं। जिस प्रकार तीन वर्ष के बालक को बिना स्नान भोजन आदि के अकेले नहीं छोड़ा जा सकता, उसी प्रकार देवता को भी राग भोग आदि उपचार पाने का संवैधानिक अधिकार है।

शिवलिंग को फव्वारा बताकर मुसलमान भी कर रहे हिंदुओं का समर्थन
शास्त्रों में भगवान शिव के अतिरिक्त अन्य ऐसे कोई देवता नहीं है, जिनके सिर से जलधारा निकलती हो। जो मनुष्य सनातन संस्कृति को न जानते, भगवान् शिव के स्वरूप एवं उनके माहात्म्य को नहीं जानते वे किसी केमुसलमान लोग भगवान शिव को नहीं जानते और न ही उनको मानते हैं। ऐसे में वे सभी अबोध हमारे भगवान शिव को फव्वारा कहकर स्वयं यह सिद्ध कर दे रहे हैं कि वे ही भगवान शिव हैं। हमने मुगलों की बनवाई इमारतों के अनेक फव्वारों को देखा पर एक भी शिवलिंग के आकार का नहीं मिला।
सिर से पानी निकलते हुए देखकर उन्हें फव्वारा ही तो कहेंगे।

शनिवार को हम स्वयं करेंगे आदि विश्वेश्वर का पूजन
हमारे शास्त्रों में स्थाप्यं समाप्यं शनि भौमवारे… अर्थात शनिवार को शुभ दिन कहा गया है। प्रकट हुए स्वयंभू आदि विश्वेश्वर ज्योतिर्लिंग भगवान के पूजन के लिए शनिवार का दिन अत्यंत उत्तम है।

काला कानून समाप्त करे केंद्र सरकार
इस समय केंद्र की सरकार बहुमत में है। उनको चाहिए कि वे उपासना स्थल अधिनियम 1991 को तत्काल समाप्त करें ताकि हिंदू पुन: अपने स्थान को सम्मान के साथ प्राप्त कर सकें और न्याय हो। दिन शुभ मुहूर्त में हम स्वयं पूजा पद्धति को जानने वाले विद्वानों एवं पूजा सामग्री के साथ भगवान् आदि विश्वेश्वर के पूजन के लिए जाएंगे।

By Tarun

Leave a Reply

Your email address will not be published. Required fields are marked *

Uttarakhand