बारिश के बाद काली नदी का जलस्तर 889.00 मीटर पहुंच गया है। इसके खतरे का निशान 890.00 मीटर पर

सीमांत जिले के विभिन्न हिस्सों में लगातार हो रही बारिश से लोगों की दिक्कतें बढ़ती जा रहीं हैं। बारिश के कारण कैलाश मानसरोवर को जोड़ने वाली तवाघाट-लिपुलेख सड़क मांगती और मालपा में बंद है। इसके अलावा जिले में 11 ग्रामीण सड़कें भी बंद हैं।

ये ग्रामीण सड़कें हैं बंद

गिन्नी बैंड-समकोट, कालिका-खुमती, गलाती-रमतोली, छिरकिला-जम्कू, बैराज-बोगाड़ जुब्बर, सानदेव-तुर्गोली, देवीसूना-जमतड़ी, बांसबगड़-रजवार-बोक्टा, झूलाघाट-तालेश्वर, तवाघाट-सोबला और तवाघाट-घट्टाबगड़।

नदियों का जल स्तर बढ़ा

बारिश के बाद काली नदी का जलस्तर 889.00 मीटर पहुंच गया है। इसके खतरे का निशान 890.00 मीटर पर है। गोरी नदी जौलजीबी में 604.35 मीटर पर बह रही है। इसके खतरे का निशान 606.80 मीटर पर है। गोरी नदी मदकोट में 1211.80 मीटर पर बह रही है। इसके खतरे का निशान 1215.10 मीटर पर है। सरयू 447.50 मीटर पर बह रही है। इसके खतरे का निशान 452.00 मीटर पर है। प्रशासन से लोगों से नदियों के किनारे नहीं जाने की अपील की है।

झूलाघाट-तालेश्वर सड़क पर जेसीबी तैनात

नेपाल सीमा से लगी झूलाघाट-तालेश्वर सड़क को खोलने के लिए जेसीबी तैनात की गई है। लोनिवि की सहायक अभियंता रुचि जंगपांगी ने बताया कि सड़क जल्द सुचारु कर दी जाएगी। सड़क बंद होने से तालेश्वर गेठीगाड़ा, अमतड़ी, रणुवा आदि गांवों के लोगों को दिक्कत हो रही है।

आठ जिलों में आज भारी बारिश की चेतावनी, येलो अलर्ट

देहरादून, टिहरी, पौड़ी, नैनीताल, चंपावत, ऊधमसिंह नगर, बागेश्वर और पिथौरागढ़ में आज से तीन दिन तक भारी बारिश की संभावना है। मौसम विभाग ने येलो अलर्ट जारी किया है।  मौसम विज्ञान केंद्र के निदेशक विक्रम सिंह ने बताया कि कुछ दिनों की निष्क्रियता के बाद अब मानसून फिर सक्रिय हो रहा है।

मानसून सक्रिय होने के बाद देहरादून, टिहरी, पौड़ी, नैनीताल, चंपावत, ऊधमसिंह नगर, बागेश्वर, पिथौरागढ़ में मंगलवार से लगातार तीन दिन में भारी से अत्यंत भारी बारिश की संभावना है। भारी बारिश से नदियों, नालों के किनारे बसे लोगों के साथ ही भूस्खलन संभावित इलाकों में बसे लोगों को सावधान रहने की जरूरत है।

उधर, देहरादून की डीएम सोनिका ने आपदा प्रबंधन से जुड़े सभी अधिकारियों की बैठक लेने के साथ ही अलर्ट रहने के निर्देश दिए है। सभी एसडीएम को निर्देशित किया कि वे अपने अपने इलाकों में रहेेंगे। भूस्खलन संभावित इलाकों में जेसीबी संग एंबुलेंस की व्यवस्था कर ली जाए, ताकि आपदा की स्थिति में तत्काल राहत कार्य शुरू किए जा सकें।

By Tarun

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