विरोधों के बीच आखिरकार स्वामी कैलाशानंद का निरंजनी अखाड़े के आचार्य महामंडलेश्वर के रूप में पट्टाभिषेक किए जाने को परी अखाड़े ने अनुचित करार दिया है। शुक्रवार को परी पीठाधीश्वर साध्वी त्रिकाल भवंता ने कहा कि कैलाशानंद का आचार्य महामंडलेश्वर केरूप में पट्टाभिषेक अखाड़ा परिषद के अध्यक्ष महंत नरेंद्र गिरि की स्वेच्छाचारिता का परिणाम है। उन्होंने कहा कि स्वामी प्रज्ञानंद के पद पर रहते हुए नए आचार्य महामंडलेश्वर के रूप में किसी विवादित संत का पट्टाभिषेक परंपरा का सीधा उल्लंघन है।

देव प्रयाग स्नान यात्रा पर हरिद्वार में डुबकी लगाने के बाद परी पीठाधीश्वर ने स्वामी कैलाशानंद के पट्टाभिषेक पर उंगली उठाई। साध्वी त्रिकाल भवंता ने आरोप लगाया कि महंत नरेंद्र गिरि ने संत परंपरा के विपरीत अखाड़ा परिषद का किसी राजनीतिक दल के रूप में इस्तेमाल करना शुरू कर दिया है

इसी सियासत की वजह से कैलाशानंद के पट्टाभिषेक में कई राजनीतिक हस्तियों को बुलाया गया था। ताकि, कोई जुबान न खोल सके। लेकिन यह पट्टाभिषेक अमान्य किए जाने योग्य है। इस पर पूरे संत समाज को विचार करना चाहिए। उल्लेखनीय है कि बीते दिनों अखाड़ा परिषद की हरिद्वार में हुई बैठक में परी अखाड़े को फर्जी घोषित कर दिया गया था। साथ यह भी प्रस्ताव पारित किया गया था कि परी अखाड़े को हरिद्वार कुंभ में भूमि सुविधाएं आवंटित न की जाएं।

 

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