मुख्यमंत्री रविवार को राजधानी में गंगा समग्र के राष्ट्रीय कार्यकर्ता संगम के समापन समारोह को संबोधित कर रहे थे। उन्होंने कहा कि गंगा के अभियान को अब समाज को अपने हाथ में लेने की आवश्यकता है। गंगोत्री से गंगासागर तक गंगा का सबसे क्रिटिकल प्वाइंट कानपुर में था।

मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ ने कहा कि पिछली सरकारों में गंगा के लिए केवल एक्शन प्लान बनता था और गंगा प्रदूषित ही रहती थी। प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने गंगा के सामाजिक, आध्यात्मिक और आर्थिक महत्व को देखते हुए नमामि गंगे परियोजना को शुरू कर भारत की नदी संस्कृति को पुनर्जीवित किया है।
मुख्यमंत्री रविवार को राजधानी में गंगा समग्र के राष्ट्रीय कार्यकर्ता संगम के समापन समारोह को संबोधित कर रहे थे। उन्होंने कहा कि गंगा के अभियान को अब समाज को अपने हाथ में लेने की आवश्यकता है। गंगोत्री से गंगासागर तक गंगा का सबसे क्रिटिकल प्वाइंट कानपुर में था। सीसामऊ नाले से प्रतिदिन 14 करोड़ लीटर सीवर का पानी गंगा में बहता था, लेकिन नमामि गंगे के तहत वही सीवर प्वाइंट अब सेल्फी प्वाइंट बन गया है। अब एक भी नाले का पानी गंगा में नहीं बहता है।
उन्होंने कहा कि प्रयागराज कुंभ में भी साधु-संतों और श्रद्धालुओं ने गंगा के अविरल व निर्मल जल में डुबकी लगाई थी। मुख्यमंत्री ने कहा कि पहले काशी में गंगा में एनडीआरएफ के जवान भी उतरने से डरते थे, लेकिन अब डॉल्फीन देखने को मिलती हैं।
उन्होंने कहा कि समाज को भी जल संरक्षण के लिए गंगा समग्र जैसे अभियान से जुड़ना होगा तब ही नदी संस्कृति बचेगी। इससे न केवल भारत बल्कि विश्व मानवता की रक्षा का मार्ग प्रशस्त होगा। गंगा के प्रति किए जाने वाले एक छोटे से प्रयास से हम न केवल भारत की नदी संस्कृति व सनातन आस्था को सुरक्षित रख पाएंगे। बल्कि आने वाली पीढ़ी के भविष्य को भी सुरक्षित रखने में मदद मिलेगी। इस अवसर पर उप मुख्यमंत्री ब्रजेश पाठक, जलशक्ति मंत्री स्वतंत्रदेव सिंह, गंगा समग्र के संगठन मंत्री राम आशीष, संत विद्याचेतन्य, प्रबंधक राजेश सिंह, पूर्व मंत्री महेंद्र सिंह भी मौजूद थे।

समाज आगे आएगा तो मिलेगी सफलता

मुख्यमंत्री ने कहा कि नदियों के संरक्षण के काम केवल सरकार के भरोसे पूरे नहीं हो सकते। यदि समाज आगे रहकर यह काम करे और सरकार पीछे से पूरा सहयोग करे तब सफलता मिलेगी। समाज को गंगा और सहायक नदियों में किसी भी प्रकार की गंदगी न फेंकने और नाले का पानी न बहाने का संकल्प लेना चाहिए। अंतिम संस्कार में जल प्रवाह को समाप्त करना होगा। अग्नि संस्कार करना होगा।

नदियों के किनारे होगा वृक्षारोपण

मुख्यमंत्री ने कहा कि प्रदेश में गंगा, युमना, बाण गंगा, सरयू व राप्ती के दोनों तटों पर व्यापक वृक्षारोपण कार्यक्रम के तहत पीपल, बरगद, जामुन, आम के पेड़ लगाए जाएंगे। किसान यदि अपने खेत में बागवानी लगाना चाहता है तो उसे फ्री में पौधे उपलब्ध कराने के साथ कुछ वर्ष तक सब्सिडी भी दी जाएगी। यदि वह प्राकृतिक खेती से उत्पादन करेगा तो प्रशिक्षण भी दिलाया जाएगा। सरकार ने यह सभी प्रयास शुरू किए हैं, लेकिन इसे युद्धस्तर पर आगे बढ़ाने की आवश्यकता है।

By Tarun

Leave a Reply

Your email address will not be published. Required fields are marked *

Uttarakhand