भर्तियों में भ्रष्टाचार और बेरोजगारी के खिलाफ मुंडन कराने वाले प्रतियोगी छात्रों की गिरफ्तारी के मामले ने तूल पकड़ लिया है। इलाहाबाद विश्वविद्यालय (इविवि) के पूर्व छात्रसंघ अध्यक्ष एवं अधिवक्ता केके राय समेत अधिवक्ता रमेश कुमार एवं प्रबल प्रताप ने इस मामले में राष्ट्रीय मानवाधिकार आयोग में याचिका दाखिल की है। अधिवक्ता ने शांतिपूर्ण तरीके से विरोध स्वरूप प्रतीकात्मक रूप से मुंडन कराने वाले विद्यार्थियों पर लाठी भांजने एवं गिरफ्तार कर उन्हें थाने ले जाने को गैरकानूनी बताया है। उनका कहना है कि पुलिस की यह कार्रवाई भारतीय दंड संहिता के प्रावधानों के विपरीत है। उधर, प्रतियोगी छात्रों का कहना है कि मुंडन कराना कोई अपराध नहीं है। साथ ही सरकार से पूछा है कि मुंडन संस्कार से पूर्व अगर सरकार से अनुमति लेने की कोई बाध्यता है तो इसके लिए किस अधिकारी के पास जाना होगा।इस मुद्दे पर तमाम छात्र संगठन प्रतियोगी छात्रों के समर्थन में उतर आएं हैं। युवा मंच, नव समग्र मंच, बीएड बीपीएड बेरोजगार संघ, अनुदेशक संघ, अधीनस्थ सेवा चयन आयोग संघर्ष समिति, बीएड संघर्ष मोर्चा, कृषि तकनीकी सहायक मोर्चा, युवा महासंघ, ईडब्ल्यूएस आरक्षण मोर्चा, यूपीपीसीएस अतिरिक्त अवसर मोर्चा, टीजीटी पीजीटी संघर्ष समिति समेत कई संगठनों की ओर से छात्रों पर हुई कार्रवाई की निंदा करते हुए कहा गया है कि मैं प्रतियोगी हूं यह एक शब्द मात्र नहीं है, बल्कि यह करोड़ों प्रतियोगियों के परिवार की पहचान है।
प्रतियोगी छात्र संघर्ष समिति के मीडिया प्रभारी प्रशांत पांडेय ने सभी छात्र संगठनों एवं अधिवक्ताओं का आभार जताते वह कहा कि हम सभी को एक मंच पर आकर प्रदेश में एक व्यापक लड़ाई युवाओं के मुद्दे पर लड़नी चाहिए। सरकार जिस प्रकार दमनात्मक रवैया अपना रही है, वह किसी भी कीमत पर स्वीकार नहीं किया जा सकता।

 

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