रामनवमी के स्नान को लेकर हरिद्वार गंगा में डुबकी लगाने के लिए आने वाले श्रद्धालुओं की चेकिंग के लिए सघन अभियान चलाया गया। देर रात से ही सभी बॉर्डर पर अर्द्धसैनिक बल के जवान व पुलिसकर्मी तैनात कर दिए गए थे।बुधवार को जिले की सीमा में 2392 वाहनों से 11,814 श्रद्धालुओं ने प्रवेश किया। इसके साथ ही बॉर्डर पर 5059 लोगों का टेस्ट कराया गया। इसमें से 37 पॉजिटिव पाए गए। वहीं बिना कोविड रिपोर्ट दिखाए जिले की सीमा में प्रवेश करने वाले 740 लोगों को वापस भेजा गया।कोविड-19 के बढ़ते प्रकोप का असर महाकुंभ में रामनवमी स्नान पर्व पर भी नजर आया। बॉर्डर पर सख्ती और कोरोना के डर से श्रद्धालु हरिद्वार गंगा घाटों तक नहीं पहुंच सके। हरकी पैड़ी पर सामान्य दिनों की तुलना में काफी कम भीड़ रही। अन्य गंगा घाट भी सुनसान रहे। मेला पुलिस के मुताबिक, रामनवमी पर मात्र 67 हजार श्रद्धालुओं ने गंगा स्नान किया।
11 से 14 अप्रैल के स्नानों पर हरिद्वार में 49 लाख लोगों की भीड़ उमड़ी थी। इसके बाद कोरोना संक्रमण तेजी से फैला। अखाड़ों के संतों से लेकर अधिकारियों एवं स्थानीय लोगों के संक्रमित होने का सिलसिला अभी जारी है। बुधवार को रामनवमी के पर्व स्नान पर सरकार ने हरिद्वार पहुंचने वाले यात्रियों के लिए कोविड की आरटीपीसीआर निगेटिव रिपोर्ट और पंजीकरण की अनिवार्यता की थी। मानक संचालन प्रक्रिया (एसओपी) का सख्ती से पालन करने के लिए बॉर्डर से लेकर मेला क्षेत्र एवं गंगा किनारे घाटों पर पुलिस व अर्धसैनिक बलों की तैनाती थी, लेकिन कोविड के खौफ और पाबंदियों के चलते श्रद्धालु पर्व स्नान पर हरिद्वार नहीं पहुंच सके।
सुबह 6.15 से रात आठ बजे तक स्नान का मुहूर्त था। इसमें भी दोपहर 12.20 से 1.58 बजे तक अमृत योग था, लेकिन गंगा घाट सुनसान रहे। हरकी पैड़ी पर सामान्य दिनों से भी कम भीड़ रही। गिनती के श्रद्धालु ही हरकी पैड़ी, ब्रह्मकुंड में स्नान करने पहुंचे। पुलिस ने श्रद्धालुओं को बेवजह रुकने नहीं दिया। स्नान करने के बाद श्रद्धालुओं को वापस भेजा गया। हरकी पैड़ी क्षेत्र में पुलिस एवं अर्धसैनिक बलों की मुस्तैदी रही। आईजी कुंभ संजय गुंज्याल के मुताबिक कोरोना काल को छोड़ दिया जाए तो सामान्य दिनों में हरकी पैड़ी एवं अन्य घाटों पर प्रतिदिन डेढ़ लाख से अधिक श्रद्धालु स्नान करने पहुंचते हैं, लेकिन रामनवमी पर मात्र 67,537 हजार लोगों ने डुबकी लगाई।