हरिद्वार में महाकुंभ के दूसरे दिन शुक्रवार को निरंजन पीठाधीश्वर कैलाशानंद गिरि की भव्य शोभायात्रा निकाली गई। बैंड बाजों की धुनों पर शोभायात्रा कनखल से चंडी घाट स्थित दक्षिण काली मंदिर पहुंची। शोभायात्रा का जगह-जगह भव्य स्वागत हुआ। शोभायात्रा के दौरान घोड़ों पर सवार नागा साधु आकर्षण का केंद्र रहे। हर कोई उनके साथ सेल्फी खिंचवाते नजर आया। नागा साधुओं का श्रृंगार भी देखते ही बन रहा था। शोभायात्रा में सबसे आगे ध्वजाएं लेकर चल रहे थे। इसके बाद भभूत लगाए एवं श्रृंगार किए नागा साधु हाथों में त्रिशूल, भाले और फरसे लेकर घोड़ों पर सवार थे। नागा साधुओं के पीछे फूूलों से सजे भव्य रथ पर निरंजन पीठाधीश्वर कैलाशानंद गिरि विराजमान थे।इसके बाद रथ पर अखिल भारतीय अखाड़ा परिषद के अध्यक्ष श्रीमहंत नरेंद्र गिरि और सबसे पीछे के रथ पर पंचायती श्री निरंजनी अखाड़ा के सचिव श्रीमहंत रविंद्र पुरी सवार थे थे। संतों के दर्शनों के लिए श्रद्धालुओं की भीड़ उमड़ी। कैलाशानंद गिरी ने कहा कि कुंभ के अवसर पर संतों व भक्तों का मिलन परमात्मा की ही देन है। महाकुंभ शुरू होने के साथ ज्योतिष पीठ के शंकराचार्य स्वरूपानंद सरस्वती शुक्रवार को हरिद्वार पहुंच जाएंगे। हरिद्वार कनखल स्थित ज्योतिष पीठ शंकराचार्य मठ में प्रवास करेंगे। जगद्गुरु शंकराचार्य स्वरूपानंद सरस्वती के शिष्य स्वामी अविमुक्तेश्वरानंद सरस्वती ने बताया कि जगद्गुरु शुक्रवार शाम वाया मेरठ से हरिद्वार आएंगे।प्रेम नगर पुल के पास से ढोल नगाड़ों के साथ उनका स्वागत किया जाएगा। वहां से जगद्गुरु अपने मठ में जाएंगे। आठ अप्रैल की दोपहर जगद्गुरु मंगल शोभायात्रा के साथ अपनी छावनी में प्रवेश करेंगे।कुंभ अवधि तक छावनी में ही रहेंगे।वहीं, भीमगोड़ा में जूना पीठाधीश्वर स्वामी अवधेशानंद गिरि, उदासीन संप्रदाय के महामंडलेश्वर गुरु शरणानंद और स्वामी ज्ञानानंद ने कृष्ण कृपा धाम आश्रम में महाकुंभ शिविर का उद्घाटन किया। अपर मेला अधिकारी हरबीर सिंह का तीनों संतों ने माला पहनाकर और शॉल ओढ़ाकर सम्मान किया।तीनों संतों ने कहा कि बैरागी कैंप में बृहस्पतिवार को जो घटना अपर कुंभ मेला अधिकारी के साथ घटी है उसका धर्म जगत में कोई स्थान नहीं है। उन्होंने हरबीर सिंह की कुंभ में दी जा रही सेवाओं की जमकर तारीफ की और उन्हें ऋषि की संज्ञा दी।

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