हरिद्वार में ज्वालापुर के भाजपा विधायक सुरेश राठौर के महाकुंभ में महामंडलेश्वर बनने की हसरत पूरी नहीं हो पाएगी। पंचायती अखाड़ा श्री निरंजनी के श्रीमहंत नरेंद्र गिरि ने पत्रकार वार्ता के दौरान कहा कि अखाड़े का महामंडलेश्वर बनने के लिए संन्यास दीक्षा लेना अनिवार्य है। उन्होंने कहा कि सुरेश राठौर ने संन्यास लेने में असमर्थता जता दी है। इसलिए उनको महामंडलेश्वर बनाए जाने के निर्णय को रद्द कर दिया गया है। पंचायती अखाड़ा श्री निरंजनी के श्रीमहंत नरेंद्र गिरि और सचिव श्रीमहंत रविंद्र पुरी ने भाजपा विधायक सुरेश राठौर को अखाड़े का महामंडलेश्वर बनाने का एलान किया था। तब पंचायती अखाड़ा श्री निरंजनी के श्रीमंहत रविंद्र पुरी ने कहा था कि अखाड़े में संन्यास और पदवी दो प्रक्रियाओं के तहत महामंडलेश्वर बनाए जाते हैं। उन्होंने कहा था कि सुरेश राठौर को महामंडलेश्वर की पदवी दी जाएगी। हरिद्वार के कई संतों ने बिना संन्यास ग्रहण किए सुरेश राठौर को महामंडलेश्वर बनाए जाने का विरोध किया था। संत समाज में चौतरफा विरोध के बीच विधायक सुरेश राठौर ने कुंभनगरी में रविदास गंगा शोभायात्रा निकाली थी। राजसी रथ पर सपत्नी सवार भाजपा विधायक ने नगर भ्रमण करते हुए अनुयायियों के साथ हरकी पैड़ी पर गंगा स्नान भी किया था। संत समाज में बढ़ते विरोध को देखते पंचायती अखाड़ा श्रीनिरंजनी ने सुरेश राठौर को महामंडलेश्वर बनाने के निर्णय का रद्द कर दिया।
संतों का निर्णय सर्वोपरि : राठौर
भाजपा विधायक सुरेश राठौर ने कहा कि पंचायती अखाड़ा श्री निरंजनी के पीठाधीश्वर कैलाशानंद गिरि, श्रीमहंत नरेंद्र गिरि और श्रीमहंत रविंद्र पुरी का निर्णय उनको मान्य है। उन्होंने कहा कि वे रविदासाचार्य के तौर पर अध्यात्मिक जगत और देशभर के अपने अनुयायियों के साथ जुड़े हैं। इसलिए विशाल रूप में पट्टाभिषेक कार्यक्रम का आयोजन करना चाहते थे। सुरेश राठौर ने कहा कि वे आजीवन पंचायती अखाड़ा श्री निरंजनी से साथ रहेंगे। उन्होंने कहा उनके लिए महामंडलेश्वर के पद से अधिक अखाड़ा अधिक मायने रखता है।