प्रयागराज, जेएनएन। प्रयागराज में ऐसा अक्सर कहा और सुना जाता है कि यहां पर हर साल आयोजित होने वाले माघ मेले और छह व बारह साल पर लगने वाले कुंभ मेला में लाखों-करोड़ों की भीड़ एक स्थान पर जुटने के बावजूद दुर्घटना नहीं होती है तो इसके पीछे भगवान और गंगा मैया की कृपा है। मगर यह भी सच है कि प्रयागराज के दो कुंभ अनहोनी घटनाओं में बड़ी संख्या में लोगों की मौत की वजह से दुखद यादें दे गए। इन दोनों कुंभ की भी तमाम सुखद यादों के बीच भगदड़ की दो घटनाएं ऐसी रहीं जिन्होंने बहुत से परिवारों को जीवन भर का गम दे दिया था।

2013 के कुंभ मेला में रेलवे जंक्शन पर भगदड़ में 35 लोगों की हुई थी मौत

प्रयागराज में संगम तट पर वर्ष 2013 के कुंभ मेला के दौरान 10 फरवरी दिन रविवार को मौनी अमावस्या का स्नान था। स्नान-दान करने के बाद श्रद्धालु अपने घर जाने के लिए रेलवे स्टेशनों व बस अड्डों पर पहुंच रहे थे। प्रयागराज जंक्शन (इलाहाबाद) पर बड़ी संख्या में यात्री पहुंच चुके थे। सभी प्लेटफार्म ठसाठस भरे हुए थे। ओवरब्रिजों पर भी भारी भीड़ थी। शाम के सात बज रहे थे तभी प्लेटफार्म छह की ओर जाने वाली फुट ओवरब्रिज की सीढिय़ों पर अचानक भगदड़ मची। धक्का-मुक्की में कई लोग ओवरब्रिज से नीचे जा गिरे जबकि कई लोगों को भीड़ ने कुचल दिया। कुचलने और गिरने से 35 लोगों की मौत हो गई थी जबकि दर्जनों लोग घायल हुए थे जिनका अस्पताल में कई दिनों तक इलाज चला था।

फुट ओवरब्रिज पर अचानक भीड़ बढऩे से हुआ था हादसा

उत्तर मध्य रेलवे के वरिष्ठ जनसंपर्क अधिकारी डॉ. अमित मालवीय बताते हैं कि 2013 के कुंभ मेले में सबकुछ ठीक चल रहा था लेकिन ओवरब्रिज पर शाम को अचानक भीड़ का दबाव बढ़ गया था। लोग किसी तरह अपनी ट्रेन तक पहुंचना चाह रहे थे जिससे हादसा हुआ। दुर्घटना में मरने वालों में उत्तर प्रदेश के अलावा बिहार, दिल्ली, महाराष्ट्र, मध्य प्रदेश आदि के यात्री थे। रेलवे ने उस हादसे से सबक लेकर भीड़ प्रबंधन पर काफी ध्यान दिया है। हादसे के समय जंक्शन पर मौजूद रहे सलोरी मुहल्ले के मदन जी मिश्र उस खौफनाक मंजर को अब याद नहीं रखना चाहते हैं। उनका कहना है कि कभी-कभी हमारी एक छोटी सी गलती कइयों की जान पर भारी पड़ती है।

1954 के कुंभ मेले में सैकड़ों तीर्थ यात्रियों ने गंवाई थी जान

प्रयागराज में होने वाले कुंभ और माघ मेले के इतिहास में देश की आजादी के बाद 1954 के कुंभ को भी दुर्घटना की वजह से याद किया जाता है। इस मेले में मौनी अमावस्या के दिन त्रिवेणी बांध पर मची भगदड़ में सैकड़ों श्रद्धालुओं को अपनी जान गंवानी पड़ी थी जिसे प्रशासन ने छिपाने का पूरा प्रयास किया था किंतु एक प्रेस फोटोग्राफर ने शासन के इस मंसूबे को पूरा नहीं होने दिया। वरिष्ठ छायाकार बीसी चौबे व एसके यादव ने बताया कि इस दुर्घटना की फोटो उस समय एक बड़े अखबार में छायाकार रहे एनएन मुखर्जी के पास ही थी जो दुर्घटनास्थल पर मौजूद थे और अपनी जान की परवाह न कर छायांकन किया था हालांकि उनके इस काम से तत्कालीन प्रदेश सरकार काफी नाराज थी। दुर्घटना व बाद में शवों को जलाए जाने की सचित्र खबर छपने से सरकार की काफी किरकिरी हो रही थी जिससे मुख्यमंत्री गोविंद बल्लभ पंत छायाकार एनएन मुखर्जी से काफी नाराज थे।

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