चंपावत उपचुनाव में भाजपा के दो लक्ष्य थे। पहला रिकॉर्ड मतदान करना और दूसरा उपचुनाव में सबसे ज्यादा अंतर से जीत हासिल करना। मतदान में नया रिकॉर्ड बनाने की मंशा तो भाजपा की पूरी नहीं हो पाई, लेकिन उपचुनाव में सबसे ज्यादा अंतर से जीत हासिल करना लक्ष्य पूरा हो गया है।

सीएम पुष्कर सिंह धामी की जीत के साथ ही उत्तराखंड में नया इतिहास जुड़ गया है। उपचुनाव में उनकी जीत तो पहले से ही तय थी, लेकिन सीएम के लिए जीत से ज्यादा रिकॉर्ड के मायने थे और रिकॉर्ड जीत के लिए टीम धामी ने मजबूती से काम किया। चंपावत उपचुनाव में 58 हजार से अधिक वोटों से जीत नया कीर्तिमान रचा है।

पार्टी ने इस चुनाव को हल्के में नहीं लिया। यही वजह रही कि अब तक कोई मुख्यमंत्री उपचुनाव में इतने मतों से नहीं जीता है। यूपी के मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ, रक्षा राज्य मंत्री और उत्तराखंड के दो पूर्व मुख्यमंत्री ने भी चंपावत आकर प्रचार को धार दी है। संगठन के स्तर पर राष्ट्रीय महामंत्री विनोद तावड़े, प्रदेश प्रभारी दुष्यंत कुमार गौतम, सह प्रभारी रेखा वर्मा सहित संगठन के दिग्गजों ने कार्यकर्ताओं को अधिक मतदान के लिए प्रेरित करते रहे, जिसने धामी के पक्ष को मजबूत किया

सीएम धामी की जीत के यूं तो कई मुख्य कारण रहे, लेकिन इसमें एक सबसे बड़ी वजह कमजोर विपक्ष भी रहा। चंपावत उपचुनाव प्रचार शुरू होने से मतदान निपटने तक कांग्रेस के 90 प्रतिशत वरिष्ठ कार्यकर्ता नदारद थे। इसके लिए सबने कई बहाने बनाए। कांग्रेस प्रत्याशी निर्मला गहतोड़ी भी इस रवैया से आहत हुई।वर्ष 2012 के उपचुनाव में तत्कालीन मुख्यमंत्री विजय बहुगुणा ने 53766 वोट लाकर सितारगंज सीट 39966 वोटों से जीती थी। वहीं चंपावत सीट पर सबसे बड़ी जीत 2017 में भाजपा के कैलाश गहतोड़ी की 17360 वोटों से रही।

वर्ष        सीएम प्रत्याशी        वोट                प्रतिद्वंद्वी              वोट        जीत का अंतर 
2002       एनडी तिवारी         32913            राम सिंह बिष्ट       9693        23220
2007       बीसी खंडूरी          24347            सुरेंद्र सिंह नेगी     10256       14091
2012      विजय बहुगुणा       53766            प्रकाश पंत        13800         39966
2014      हरीश रावत           31214              विष्णु दत्त         10610         20604

By Tarun

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