सोशल इंजीनियरिंग का फार्मूला अपनाते हुए सनातन धर्म के प्रति आस्था और विद्वता के आधार पर पंचायती अखाड़ा श्रीनिरंजनी के दरवाजे हर जाति के संतों के लिए खुलेंगे। इस के साथ ही अब महामंडलेश्वर की पदवी पाना भी आसान नहीं होगा।
पंचायती अखाड़ा श्रीनिरंजनी शैक्षिक योग्यता के आधार पर ही भविष्य में महामंडलेश्वरों की ताजपोशी करेगा। महामंडलेश्वर बनने के लिए आचार्य की डिग्री और मठ मंदिर की गद्दी होना अनिवार्य होगा। जातपात का भेदभाव दूर करने के लिए अखाड़ा सोशल इंजीनियरिंग का फार्मूला भी अपनाएगा
सनातन धर्म के प्रति आस्था और विद्वता के आधार पर अखाड़े के दरवाजे हर जाति के संतों के लिए खुलेंगे। पंचायती अखाड़ा श्रीनिरंजनी सचिव एवं अखाड़ा परिषद अध्यक्ष श्रीमहंत रविंद्रपुरी ने बताया कि वक्त के साथ साधु-संन्यासियों की दीक्षा में भी बदलाव जरूरी है। महामंडलेश्वर की पदवी बेहद गरिमामयी है। अभी कई महामंडलेश्वर अनपढ़ हैं। सनातन धर्म के प्रति ज्ञान नहीं है। विवादित बयानबाजी करते हैं। पदवी लेने के बाद गृहस्थ जीवन में हैं।
इन्हीं विसंगतियों को रोकने के लिए अखाड़ा स्तर पर महामंडलेश्वर की संन्यास दीक्षा के लिए शैक्षिक योग्यता की अनिवार्यता की जा रही है। कम से कम आचार्य की डिग्री जरूरी होगी। साथ ही मठ-मंदिर की गद्दी की अनिवार्यता होगी। इन मापदंडों पर खरा उतरने वाले संतों को ही महामंडलेश्वर की संन्यास दीक्षा दी जाएगी।
एक सप्ताह के भीतर कमेटी के सदस्यों के नाम होंगे सार्वजनिक
दीक्षा लेने वाले सैकड़ों, संपर्क में हैं सिर्फ 60
अखाड़े से संन्यास की दीक्षा लेने के बाद महामंडलेश्वर की पदवी आजीवन संत के नाम से जुड़ जाती है। संत अपने वाहनों के आगे महामंडलेश्वर सिद्धपीठ और मठाधीश जैसे बोर्ड लगाकर घूमते हैं। कई महामंडलेश्वर की मठ मंदिर की गद्दी नहीं है। संन्यास परंपरा के विपरीत गृहस्थ जीवन जी रहे हैं। सनातन धर्म का ज्ञान नहीं होने से विवादित बयान देते हैं। इससे अखाड़े पर भी सवाल उठाए जाते हैं। इन्हीं विसंगतियों को रोकने के लिए अखाड़ा शैक्षिक योग्यता और मठ मंदिर की अनिवार्यता का नियम बनाने जा रहा है।
– श्रीमहंत रविंद्रपुरी, सचिव श्री निरंजनी अखाड़ा
सामाजिक एवं शिक्षा क्षेत्र में अखाड़ा सबसे आगे