आसाराम का आश्रम एक बार फिर चर्चा में आ गया है। जिस किशोरी का शव आसाराम के आश्रम में मिला है। उसका पूरा परिवार आसाराम का अनुयायी था। आश्रम में सत्संग के समय बड़ी भीड़ उमड़ती थी। किशोरी का पिता तीन साल से लापता है।
आसाराम के आश्रम में खड़ी कार में जिस किशोरी का शव मिला उसके पिता भी तीन वर्षों से लापता हैं। एक मकान के विवाद में हुई मारपीट के बाद से उनका कोई अता-पता नहीं है। पुलिस भी हाथ पर हाथ धरे बैठी रह गई। किशोरी की मां ने बताया कि मंगलवार रात से मेरी बच्ची लापता हो गई थी, हमने आसपास के क्षेत्रों में ढूंढने का प्रयास किया। लेकिन उसका कुछ पता नहीं चला था।
पुलिस को भी मामले की सूचना दी थी। अब पता चला कि उसकी लाश आश्रम में खड़ी एक कार में मिली है। उन्होंने बताया कि कुछ साल पहले मेरे पति भी अचानक लापता हो गये थे। जिन लोगों ने मेरे पति को लापता किया उन्हीं लोगों ने मेरी बच्ची की हत्या की है। बच्ची की मां ने तीन लोगों के खिलाफ तहरीर दी है।
पांच बीघे में फैला है आश्रम, दो बार आ चुका आसाराम
नगर के बहराइच मार्ग पर बिमौर गांव में स्थित आसाराम का आश्रम लगभग पांच बीघा भूमि पर बना हुआ है। इस आश्रम से बड़ी संख्या में अनुयायी जुड़े हैं। एक समय था जब यहां सत्संग में बड़ी संख्या में भक्तों का जमावड़ा होता था, लेकिन नौ साल पहले आसाराम के जेल जाने के बाद यहां आने वाले उनके अनुयायी गिनती के बचे हैं। अब यहां सप्ताह में सिर्फ रविवार को शाम सात बजे आरती व सत्संग का आयोजन होता है। इस आश्रम में आसाराम दो बार आ चुका है।
बताया जाता है कि अध्यात्मिक गुरु के रूप में जब आसाराम की ख्याति थी तो उनके अनुयायी भी बहुतायत संख्या में थे। इन्हीं के सहयोग से वर्ष 2004 में लगभग पांच बीघा जमीन खरीद कर इस आश्रम का निर्माण कराया गया था। इसके शुभारंभ पर आसाराम भी यहां आया था और यहां सत्संग भी किया था। उस समय बड़ी संख्या में सेवादार व कर्मचारी आश्रम में तैनात थे और यहां सत्संग में भारी भीड़ जुटती थी। दूसरी बार आसाराम वर्ष 2010 में एक निजी आईटीआई के उद्घाटन में आया था तब वह आश्रम भी गया था। इसके बाद जब आसाराम जेल गया तो यह आश्रम वीरान रहने लगा। मौजूदा समय में सेवादार (केयर टेकर)  के रूप में बाबा दयाराम कार्यरत है। कुछ कर्मचारी भी हैं। पुलिस ने पूछताछ के लिए इन सबों को हिरासत में लिया है।
जमीन विवाद के चलते तीन साल पहले लापता किशोरी का पिता व उसका परिवार भी आसाराम का अनुयायी था और आश्रम के सत्संग में आना-जाना था। बेटी के लापता होने के बाद परिजन खोजबीन करते हुए इस आश्रम में भी आए थे। किशोरी की मां व भाई ने घटना के दूसरे दिन छह अप्रैल को यहां भी खोजबीन की, लेकिन उसका कहीं पता नहीं चल सका।

पुलिस की भूमिका पर उठ रहे सवाल
किशोरी के लापता होने की सूचना परिजनों ने पांच अप्रैल को ही नगर कोतवाली में दी थी, लेकिन पुलिस ने प्रार्थना पत्र को गंभीरता से ही नहीं लिया। सात अप्रैल की देर रात जब आश्रम के कर्मचारियों ने शव मिलने की सूचना दी तो पुलिस ने अपनी गर्दन बचाने के लिए दिन में ही अपहरण की रिपोर्ट दर्ज कर कागजी कार्रवाई पूरी कर ली। परिजनों का कहना है कि यदि पुलिस पहले दिन से ही गंभीर होती तो उनकी बेटी की जान बच जाती। पीड़ित परिवार के घर एहतियातन पुलिस तैनात कर दी गई है।

कार किसकी यह पता लगाने में ही हांफ गई पुलिस
आसाराम के आश्रम में जिस ऑल्टो कार में किशोरी का शव बरामद हुआ उसका ही पता लगाने में पुलिस हांफ गई। बताया कि यह कार आश्रम के ही किसी साधक की है। जिसे राजेश नामक किसी अनुयायी ने आश्रम को दान दिया था। यह कार आश्रम में ही खड़ी रहती है। इसकी नंबर प्लेट भी टूटी हुई है। ऐसे में सवाल उठता है कि आश्रम परिसर में खड़ी कार से दुर्गंध आने पर ही यहां रह रहे लोगों को जानकारी हुई। पहचानने के बावजूद लोगों ने किसी का शव होने की सूचना पुलिस को दी।

आरोपियों में एक से चल रहा जमीन का विवाद

मृतक किशोरी की मां की तहरीर पर करनैलगंज कोतवाली के महेवा परसौरा के जगदीश दूबे, नगर कोतवाली के रूद्रपुर विशेन के पप्पू तथा जानकीनगर के सुरेंद्र पांडेय के खिलाफ अपहरण का केस दर्ज किया गया है। पुलिस के अनुसार आरोपियों में से एक सुरेंद्र से किशोरी के परिवार का जमीन का विवाद पहले से ही चल रहा है।
पांच टीमें गठित, चल रही जांच
एसपी संतोष कुमार मिश्र का कहना है कि प्रकरण की जांच के लिए पांच टीमें गठित की गई हैं। पोस्टमार्टम रिपोर्ट मिलने के बाद जांच का दायरा बढ़ा दिया गया है। जल्द ही पूरे मामले का राजफाश किया जाएगा। हालांकि प्रकरण में नामजद मुकदमा दर्ज किया गया है, लेकिन जो भी जांच के दौरान दोषी मिलेंगे उन सभी के खिलाफ कार्रवाई की जाएगी।-TARUN HARIDWAR

By Tarun

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