संगम पर गंगा जल के काला पड़ने से केंद्रीय प्रदूषण नियंत्रण बोर्ड की टीम भी चिंतित दिखी। अमर उजाला ने बुधवार को ही यह मुद्दा उठाया था। जिसके बाद टीम ने खबर का संज्ञान लेते हुए घाटों का मुआयना किया। गंगा-यमुना जल के साथ एसटीपी के शोधित जल के नमूने जांच के लिए सील किए गए। सभी नमूनों की दिल्ली स्थित प्रयोगशाला में जांच की जाएगी। इसके अलावा निरीक्षण में नालों की सफाई में खामी भी सामने आई है। टीम ने गंगा और यमुना में सीधे गिर रहे नालों के बारे में भी जानकारी जुटाई है। हालांकि जो जानकारी टीम को दी गई, उससे टीम संतुष्ट नजर नहीं आई।केंद्रीय प्रदूषण बोर्ड के वैज्ञानिक डॉ आरबी सिंह के नेतृत्व में आए वैज्ञानिकों ने गंगा जल की निर्मलता जांचने के बारे में घाटों पर मौजूद लोगों से बातचीत की फिर दोनों नदियों का संगम घाट सहित अन्य स्थानों से अलग-अलग नमूना एकत्र किया। प्रदूषण नियंत्रण बोर्ड के क्षेत्रीय अधिकारी प्रदीप विश्वकर्मा के मुताबिक केंद्रीय टीम सदस्यों ने नैनी और नुमायाडीह एसटीपी का भी निरीक्षण कर संचालन के बारे में जानकारी ली। शहर के 18 नालों में पांच को मौके पर जाकर देखा। सभी छह एसटीपी और 18 नालों का निरीक्षण पूरा किया जा चुका है। उन्होंने बताया कि टीम सदस्यों ने जिन नालों का निरीक्षण किया वहां बायोरेमिडेशन ट्रीटमेंट करने की प्रक्रिया दिखाई गई। वहीं, संगम नोज पर ही गंगा जल के काला पड़ने पर लोगों में गहरी नाराजगी है। पार्षद कमलेश सिंह का आरोप है कि एसटीपी के संचालन और नालों को एसटीपी से जोड़ने के प्रक्रिया में लापरवाही बरती जा रही है। कई स्थानों पर नालों का गंदा पानी सीधे नदियों में गिराया जा रहा है। प्रदूषण से गंगा का पानी काला और यमुना जल में तैलीय पदार्थ बहाने से पानी पर सतरंगी सतह तैर रही है। जल में अमोनिया की मात्रा बढ़ने से मछलियां मर रही हैं। माघ मेले के दौरान यदि नरौरा से जल न छोड़ा गया तो श्रद्धालु मैली गंगा में ही डुबकी लगाएंगे।

Leave a Reply

Your email address will not be published. Required fields are marked *

Uttarakhand