काले जल के शोर के बीच उत्तराखंड से पानी छोड़े जाने के बाद संगम पर गंगा की धारा निर्मल तो हो गई, लेकिन मेला क्षेत्र में संतों-भक्तों की मुसीबतें भी बढ़ गई हैं। जलस्तर में तेजी आने से शनिवार को माघ मेला क्षेत्र के कई सेक्टरों में बिजली के खंभे डूब गए। पांटून पुलों में कटान तेज हो गई। पानी रोकने के लिए बालू की बोरियों से बाड़ बनाई जाती रही, लेकिन इंतजाम बेअसर रहे। अगले 24 घंटे में गंगा के जलस्तर में गिरावट शुरू नहीं हुई तो दिक्कतें बढ़ने से इनकार नहीं किया जा सकता।माघ मेले में संगम पर काले गंगा जल को लेकर संतों की नराजगी के बाद भीमगोड़ा और नरोरा बांधों से पानी छोड़ दिया गया है। पिछले दो दिनों के भीतर तीन फीट से अधिक जल स्तर बढ़ने से सेक्टर -चार और सेक्ट दो में दिक्कतें पैदा होने लगी हैं। सेक्टर-चार में शास्त्री पुल के नीचे पानी रोकने के लिए करीब 20 मीटर लंबी बालू की बोरियों की बाड़ बनाई गई थी, लेकिन वह जलमग्न हो गई और पानी दूसरे हिस्सों में प्रवेश कर गया।सेक्टर चार और तीन के स्नान घाट भी डूब गए। काली, त्रिवेणी के अलावा ओल्ड जीटी और गंगोली शिवाला पांटून पुलों में कटान तेज हो गई है। काली पांटून पुल के पास बिजली के कई खंभे भी पानी में आ गए हैं। मेला क्षेत्र का पूर्वी हिस्सा भी बढ़ते जल स्तर से प्रभावित हो गया है। हालांकि कि सिंचाई बाढ़ खंड की ओर से कटान रोकने के लिए बालू की बोरियों की बाड़ दिन भर लगाई जाती रही, लेकिन पानी तेज होने से इसका कोई असर नहीं हुआ।
- संगम पर पानी कम होने को लेकर संतों-भक्तों की नाराजगी को देखते हुए जल छोड़ा गया है। इससे जलस्तर में वृद्धि शुरू हो गई है। हालांकि अभी मेला क्षेत्र में इस पानी से बहुत प्रभाव नहीं पड़ा है। यही स्थिति दो दिन तक बनी रही तो मुश्किलें पैदा हो सकती हैं। ब्रजेश सिंह, एक्सईएन-सिंचाई बाढ़ खंड।