जवां के कासिमपुर में घर में काम करने वाली किशोरी संग दुष्कर्म की कोशिश और विरोध पर जलाने की घटना में आरोप साबित न होने पर आरोपी बरी कर दिया गया। अपर सत्र न्यायालय ने 2016 की घटना में यह फैसला लिया है और वादी के पक्षद्रोही होने पर नोटिस जारी करने की चेतावनी दी है।

इस मामले में बचाव पक्ष के अधिवक्ता नीरज चौहान ने जानकारी देते हुए बताया कि घटना 16 मई 2016 की बताते हुए पांच दिन बाद मुकदमा दर्ज कराया गया। जिसमें मकान स्वामी के पुत्र नरेंद्र वार्ष्णेय पर आरोप लगाते हुए कहा कि उसके यहां काम करने वाली किशोरी संग आरोपी पहले से दुष्कर्म करता था। घटना वाले दिन भी उसने यही प्रयास किया और विरोध पर उसे जलाया। जिससे वह छह फीसदी जल गई। इस घटना के छह माह बाद किसी अन्य बीमारी से किशोरी की मौत हो गई। सत्र परीक्षण के दौरान न्यायालय में जब वादी ने गवाही दी तो वह अपने बयानों पर कायम न रह सका। साथ में मेडिकल परीक्षण में भी दुष्कर्म की पुष्टि नहीं हुई। वहीं कोई अन्य चश्मदीद गवाह पेश नहीं किया गया। मुख्य गवाह खुद पीड़ित भी जीवित न होने के कारण पेश न हो सकी। इसके अलावा बचाव पक्ष ने कुछ ऐसे गवाह पेश किए, जिनकी गवाही ने मुकदमे में आरोप साबित न हो सके। नीरज चौहान के अनुसार इस आधार पर न्यायालय ने आरोपी को बरी कर दिया।

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