प्रशासन इस बार माघ मेले को मानव शरीर के सात ऊर्जा चक्रों की थीम पर विकसित करेगा। मेला प्रशासन ने मेले की नव्य थीम आधारित बसावट और सजावट का प्रस्ताव शासन को पेश किया है। भारतीय धर्म शास्त्र और दर्शन में सात अंक का विशेष महत्व है जो धार्मिक दृष्टि से लेकर रीति-रिवाजों और मान्यताओं तक दिखता है। भारतीय दर्शन, अध्यात्म और ज्योतिषीय विषयों के जानकार आचार्य हरि कृष्ण शुक्ला बताते हैं कि हिंदू धर्म में सात एक अत्यंत पवित्र और आध्यात्मिक संख्या है जो हिंदू सनातन धर्म और संस्कृति की विभिन्न दिव्य अवधारणाओं और दर्शनों का प्रतीकात्मक प्रतिनिधित्व करता है।

सभी सेक्टरों के अलग-अलग स्वागत द्वारों को उनके संबंधित रंगों के अनुसार बनाने का प्रस्ताव भी शामिल है। हर सेक्टर की चहारदीवारी पर एक तीन फीट चौड़ी सीमांकन पट्टी बनाने का प्रस्ताव भी है जिससे मेले का आकार दृष्टिगत रूप से व्यवस्थित दिखेगा। इस पट्टी पर प्रदेश सरकार एवं माघ मेले का प्रतीक चिह्न भी अंकित होगा। आम जनता के लिए विभिन्न सेक्टर व उनकी मुख्य सड़कों की पहचान को सुगम बनाने में इससे मदद मिलेगी।



मेले के सात सेक्टर में स्थापित सात प्रवेश द्वार सात अलग रंगों के होंगे। सभी सात पांटून पुलों को सात ऊर्जा चक्रों के इंद्रधनुषी रंगों से अलंकृत किए जाने का प्रस्ताव है। हर पांटून पुल पर संरचनात्मक सुरक्षा का ध्यान रखते हुए कैनोपी का निर्माण होगा। चारों ओर से साफ दिखने के कारण यह कैनोपी पुलों को अति आकर्षक बनाएगी।

पांटून पुलों पर स्थित लाइट के खंभों पर एलईडी में धार्मिक चिह्न के साथ पुलों के रंगों के अनुसार झंडे लगाए जाएंगे। संगम की नावें भी इस नई सोच से सराबोर नजर आएंगी। नौकाओं पर सात रंगों की छतरियां लगेंगी। ये छतरियां बैटरी से चलने वाली एलईडी लाइट से युक्त होंगी। इन छतरियों पर मेले की ब्रांडिंग की जाएगी। इसके अलावा पहली बार घाटों के किनारे चेंजिंग रूम पर भी कलर कोड दिखेगा। संगम के जल में फव्वारे भी स्थापित होंगे जिन्हें सतरंगी रोशनी से सुसज्जित किया जाएगा।

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