स्वामी स्वरूपानंद सरस्वती को ज्योतिष पीठ के साथ ही द्वारिका पीठ की जमीन मिलने का विरोध शुरू हो गया है। ज्योतिष पीठ की जमीन पर दावा करने वाले श्रीराम जन्मभूमि तीर्थक्षेत्र ट्रस्ट के सदस्य जगद्गुरु स्वामी वासुदेवानंद सरस्वती का पक्ष प्रशासनिक कार्रवाई का विरोध कर रहा है। वे इसे कोर्ट के आदेश की अवहेलना बताते हुए भूमि आवंटन नए सिरे से करने की मांग कर रहे हैं। वहीं, स्वामी स्वरूपानंद के पक्ष ने प्रशासन की कार्रवाई को नियमानुसार बताया है।
शंकराचार्य स्वामी स्वरूपानंद सरस्वती व स्वामी वासुदेवानंद खुद को ज्योतिष पीठ का पीठाधीश्वर बताते हैं। इसको लेकर दोनों धर्मगुरुओं के बीच सालों से मुकदमा चल रहा है। मौजूदा समय मामला सुप्रीम कोर्ट में लंबित है। माघ मेला क्षेत्र में शिविर लगाने के लिए दोनों पक्ष ने ज्योतिष पीठ की जमीन व सुविधा मांगी थी। हालांकि, मेला प्रशासन ने पिछले वर्ष आवंटन व पूर्व में कोर्ट के आदेशों का अनुपालन करते हुए स्वामी स्वरूपानंद सरस्वती को त्रिवेणी मार्ग पर ज्योतिष की जमीन आवंटित कर दिया है।
स्वामी वासुदेवानंद के प्रवक्ता ओंकारनाथ त्रिपाठी ने कहा कि इलाहाबाद हाईकोर्ट के आदेश में साफ लिखा है कि स्वामी स्वरूपानंद सरस्वती कभी ज्योतिषपीठ पर पीठासीन नहीं हुए। स्वामी कृष्णबोधाश्रम को कभी पीठ नहीं मिली, क्योंकि उसमें स्वामी शांतानंद सरस्वती विराजमान थे। स्वामी स्वरूपानंद खुद को कृष्णबोधाश्रम से ज्योतिष पीठ पाने का दावा करते हैं। ऐसे में उनका दावा खारिज हो गया है। बताया कि सुप्रीम कोर्ट ने हाईकोर्ट के आदेश पर रोक नहीं लगाया, न ही उसे निरस्त किया है। ऐसे में स्वामी स्वरूपानंद को ज्योतिष पीठ की जमीन आवंटित करके शासन-प्रशासन ने कोर्ट के आदेश की अवमानना किया है। उन्होंने कहा कि अभी स्वामी वासुदेवानंद बाहर हैं, उनके आने पर समस्त पहलुओं पर चर्चा करके कानूनी कार्रवाई की जाएगी।
वहीं, शंकराचार्य स्वरूपानंद सरस्वती के मेला प्रभारी ब्रह्मचारी श्रीधरानंद ने प्रशासनिक कार्रवाई की सराहना किया है। कहा कि मेला प्रशासन ने निष्पक्ष व कानून सम्मत कार्रवाई की है। स्वामी वासुदेवानंद को अपनी गरिमा का ख्याल रखते हुए ज्योतिष पीठ पर अपना दावा नहीं करना चाहिए